चीनी वैज्ञानिकों का गजब कारनामा: इंसानी दिमाग से चलने वाला नया Humanoid Robot!
दोस्तों, यह सुनकर आपकी खोपड़ी हिल जाएगी कि चीनी वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसा Humanoid Robot रोबोट बनाया है, जो असली इंसानी दिमाग से चलता है।चीनी वैज्ञानिकों ने ‘ऑर्गेनॉइड’ (organoid) नामक सेल्स से एक दिमाग बनाया है जिसे लैब में विकसित किया गया है। जी हां, यह कोई साधारण मेटल का रोबोट नहीं है, बल्कि इसमें असली इंसानी दिमाग जैसा दिमाग लगाया गया है, जो इंसान की तरह सोचता और काम करता है। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है, तो हमारी दुनिया गजब तरीके से बदल सकती है।
Robot की शक्ल: काम के अनुसार बदलती है, लेकिन Humanoid Robot ह्यूमेनॉइड का जवाब नहीं है !”
रोबोट एक ऐसी मशीन है जो हमारे बताए काम करती है, जैसे कि सफाई करना या समान उठाना। रोबोट की शक्ल उसकी काम की जरूरत के अनुसार बदलती है।लेकिन Humanoid Robot तो गजब की चीज़ है! यह दिखने में बिल्कुल इंसान जैसा होता है, हाथ-पैर और सिर भी होते हैं। जब यह चलता है, तो मानो असली इंसान चल रहा हो। पहला Humanoid Robot (WABOT-1) 1970 के दशक में जापान के वासेदा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया था। वाबोट-1 एक मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि यह पहला ऐसा रोबोट था जिसमें हाथ-पैर, चलने की क्षमता, देखने और सुनने की क्षमता जैसी मानवीय विशेषताएं थीं।
AI और इंसानी दिमाग का अंतर: क्यों रोबोट नहीं हो सकते इंसान जैसे स्मार्ट?
रोबोट में एक कमी होती है की उनके पास नेचुरल ब्रेन नहीं होता है इसीलिये कहाँ जाता है कि रोबोट कितना भी तरक्की कर ले लेकिन इंसान की तरह स्मार्ट नहीं हो सकता है इंसानी दिमाग असली सोच और भावनाओं से भरपूर होता है, जबकि Artificial Intelligence (AI) कंप्यूटर प्रोग्राम है जो डेटा और एल्गोरिदम से काम करता है। इंसानी दिमाग खुद से सीखता और समझता है, जबकि AI को इंसान ही निर्देश देता है।
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चीनी वैज्ञानिकों की नई खोज: AI और इंसानी दिमाग को जोड़कर बनाया गया Humanoid Robot!
लेकिन चीनी वैज्ञानिक रोबोट की ये कमी भी दूर करने जा रहे है. वैज्ञानिकों का मानना है कि AI इंसानों के बुद्धि स्तर से मेल नहीं खा सकता है, इसलिए उन्होंने मानव मस्तिष्क को AI से जोड़ दिया है। चीन के वैज्ञानिकों ने छोटे से इंसानी दिमाग के जरिए काम करने वाला एक ऐसा रोबोट बनाया है जो दिमाग की तरह काम करेगा और उसी तरह से विकसित होगा। चीनी वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं से एक कृत्रिम दिमाग तैयार किया है, इसमें एक स्मार्ट कंप्यूटर चिप भी लगी है। इस दिमाग को एक रोबोट में फिट किया गया है, जो दिमाग को सिग्नल भेजती है। इसे ‘ब्रेन ऑन अ चिप’ कहा जा रहा है।
ब्रेन ऑन अ चिप: मानव मस्तिष्क कोशिकाओं से विकसित कृत्रिम दिमाग और उसकी चुनौतियाँ!”
हालांकि, इसमे एक समस्या ये आ रही है कि इस दिमाग को पोषक तत्वों (फाइबर, मिनरल) की सप्लाई नहीं हो पा रही है। अगर यह समस्या हल हो गई, तो यह एक्सपेरिमेंट पूरी तरह सफल हो जाएगा है|
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस रोबोट की आंखें नहीं हैं और यह केवल न्यूरॉन्स द्वारा भेजे गए इलेक्ट्रिकल और सेंसर सिग्नल्स के जरिये प्रतिक्रिया करता है। रोबोट के कंधों पर दिखने वाला गुलाबी हिस्सा सिर्फ सजावट के लिए है, जो बताता है कि मस्तिष्क कैसा दिखेगा। यह वास्तविक टिशूज़ नहीं हैं, जो अब भी प्रोटोटाइप में उपयोग किए जा रहे हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, मानव मस्तिष्क कोशिकाओं वाला यह ह्यूमनॉइड हाइब्रिड मानव-रोबोट बुद्धिमत्ता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इस नए रोबोट को ‘ब्रेन ऑन चिप’ के रूप में परिभाषित किया गया है, जो स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल करता है जो मूल रूप से मानव मस्तिष्क कोशिकाओं में विकसित होने के लिए थीं।
यह नया रोबोट इंसान की तरह सेंसर और एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का उपयोग करके चल सकता है, चीजें पकड़ सकता है और रुकावटों से बच सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मस्तिष्क इंसान की तरह बुद्धिमानी दिखाता है और अपने अंगों को खुद से हिला-डुला सकता है। इसका फायदा यह होगा कि भविष्य में इंसान के मस्तिष्क को हुए नुकसान की मरम्मत की जा सकेगी और अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज के नए तरीके भी बनाए जा सकते हैं।
एलन मस्क की न्यूरालिंक तकनीक भी इसी तरह की है। न्यूरालिंक में एक चिप लगाकर इंसान के दिमाग को कंप्यूटर से जोड़ा जाता है। इसी तकनीक का उपयोग नए रोबोट में भी किया गया है। न्यूरालिंक में एक कस्टम चिप लगी है, जो सिग्नल को प्रोसेस करके ब्लूटूथ के जरिए कंप्यूटर को भेजती है।
इन कोशिकाओं को एक इलेक्ट्रोड के माध्यम से एक कंप्यूटर चिप के साथ इंटिग्रेट किया गया है, जिससे रोबोट सूचनाओं को प्रोसेस करने और विभिन्न कार्य करने में सक्षम हो गया है। इस सेटअप ने रोबोट को जानकारी को एनकोड और डीकोड करने की अनुमति दी, जिससे बाधाओं के आसपास नेविगेट करने से लेकर वस्तुओं को पकड़ने तक की गतिविधियां पूरी हुईं।
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रोबोट का सही उपयोग: जीवन को सरल बनाने के लिए नई तकनीक का असर और सावधानियां!”
हालांकि, इस रोबोट का उपयोग मानव जीवन को आसान बनाने के लिए किया जाना चाहिए, न कि उसे मुश्किल में डालने के लिए। यह रोबोट इंसानों के काम में दखलअंदाजी कर सकता है और अगर गलत जानकारी मिले तो गलत फैसले भी ले सकता है।
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